अब मरीज़े इश्क़ को कैसा ठिकाना चाहिए
आतिशे दिल को हवा पर आशियाना चाहिए
लग गईं हैं दाँव पर साँसें बिसाते इश्क़ में
इस तरफ या उस तरफ तय हो ही जाना चाहिए
रूह को तेरी जरूरत इस कदर है जाने जां
जीस्त के खातिर जरूरी आब ओ दाना चाहिए
दिन ढले ही लौट आते हैं परिंदे शाख पर
हो गयी अब रात तुझको लौट आना चाहिए
अब थकन तक जा चुकी हैं हसरतें दीदार की
खुश्क आँखों में 'सुमन ' दरिया समाना चाहिए
आतिशे दिल को हवा पर आशियाना चाहिए
लग गईं हैं दाँव पर साँसें बिसाते इश्क़ में
इस तरफ या उस तरफ तय हो ही जाना चाहिए
रूह को तेरी जरूरत इस कदर है जाने जां
जीस्त के खातिर जरूरी आब ओ दाना चाहिए
दिन ढले ही लौट आते हैं परिंदे शाख पर
हो गयी अब रात तुझको लौट आना चाहिए
अब थकन तक जा चुकी हैं हसरतें दीदार की
खुश्क आँखों में 'सुमन ' दरिया समाना चाहिए
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चित्रा भारद्वाज ' सुमन ' |
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