वक़्त जैसा भी हो आता है गुजर जाता है ।
बेवजह टूटकर इंसान बिखर जाता है ।।
दर्द और गम ही न आये तो जिंदगी क्या है ।
बाद तपने के ही कुंदन तो निखर जाता है ।।
क्या गुजरती है न पूछो ये किसी के दिल से ।
वादा जब करके कोई अपना मुकर जाता है ।।
हिम्मत हारे नही इंसान तो क्या मुश्किल है ।
अच्छी तदवीर से तकदीर सवर जाता है ।।
एक न एक दिन बुझनी ही है चरागे हयात ।
'प्रीत' फिर किसलिए कोई मौत से डर जाता है ।।
सन्तोष कुमार 'प्रीत'
बेवजह टूटकर इंसान बिखर जाता है ।।
दर्द और गम ही न आये तो जिंदगी क्या है ।
बाद तपने के ही कुंदन तो निखर जाता है ।।
क्या गुजरती है न पूछो ये किसी के दिल से ।
वादा जब करके कोई अपना मुकर जाता है ।।
हिम्मत हारे नही इंसान तो क्या मुश्किल है ।
अच्छी तदवीर से तकदीर सवर जाता है ।।
एक न एक दिन बुझनी ही है चरागे हयात ।
'प्रीत' फिर किसलिए कोई मौत से डर जाता है ।।
सन्तोष कुमार 'प्रीत'
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