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मंगलवार, 10 जुलाई 2018

देखकर मुझको तेरा वो मुस्कुराना - सना परवीन

देखकर मुझको तेरा वो मुस्कुराना याद है,
निगाहें दीदार कर फिर नजरें चुराना याद है।
याद है मुझको खनकती चूड़ियों के संग,
रफ्ता रफ्ता तेरा वो गुनगुनाना याद है।
वो खिला गुलशन गुलाबी खूबसूरत
वो बेलौस चाहत और पाकीजा मुहब्बत,
गुजरे साथ लम्हे जहन में आज भी हैं,
बेबात पर मुझको तेरा वो बातें बनाना याद है।
लिखूं जज्बात मैं दिल से याद में तेरी
बिछा दूँ धड़कनो को मैं राह में तेरी,
नहीं है मोल कोई 'सना' की शायरी का,
आज भी तेरा अंदाज-ऐ-शायराना याद है।

सना परवीन 'मेहनाज'
हरदोई

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