मेरी तरह उसे भी किताबों का शौक़ है ।।
वरना तो नींद से भी नही कोई ख़ास रब्त,
आँखों को सिर्फ़ आपके ख़्वाबों का शौक़ है ।
हम आशिक़-ए-ग़ज़ल हैं तो मग़रूर क्यों न हों,
आख़िर ये शौक़ भी तो नवाबों का शौक़ है ।।
उस शख़्स के फ़रेब से वाक़िफ़ हैं हम मगर,
कुछ अपनी प्यास को ही सराबों का शौक़ है ।।
गिरने दो ,ख़ुद संभलने दो ,ऐसे ही चलने दो,
ये तो चराग़ ख़ानाख़राबों का शौक़ है ।।
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चिराग़ शर्मा (फोटो स्रोत : फेसबुक) |
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