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मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020

जीतेन्द्र कानपुरी कविता

 शीर्षक - बदलाव 
चलो उठो न , अब कैसी मज़बूरी है ??
बदलाव के लिए बदलना बहुत जरूरी है ।
उम्र कितनी भी हो खुद को बूढ़ा मत समझो ।
राह बदलो ,राह बदलनी बहुत जरूरी है ।।
देखो सुनो खेलो कूदो मगर
लक्ष्य का चयन भी करो ।
जिंदगी जंग है 
मैदान में उतरना बहुत जरूरी है ।।
नहीं तो दुनिया तुम्हे पीछे धकेल देगी ।।
तरक्की करना है तो चलना बहुत जरूरी है ।।
लेखक कवि -
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)

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