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शनिवार, 31 अक्टूबर 2020

कविता

यारो अपनी फिजा खुद बनानी पड़ती है -

ओला गिरे या आग बरसे फसल उगानी पड़ती है ।
यारो अपनी फिजा खुद बनानी पड़ती है ।।
जिंदगी भर आते है कई मोड़ जिंदगी में ।
हर बार किस्मत आजमानी पड़ती है ।।


हार हो या जीत योजना बनानी पड़ती है ।
रोशनी के  लिए आदमी को जोत जलानी पड़ती है ।।
हजारों प्रयास कर डालता है आदमी उन्नति के वास्ते ।
हर हाल में आदमी को कुछ न कुछ जोखिम उठानी पड़ती है ।।

ओला गिरे या आग बरसे फसल उगानी पड़ती है ।
यारो अपनी फिजा खुद बनानी पड़ती है ।।.......
लेखक एवं देश कवि
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)
9118837179

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