कविता -
इंसान वही है जो अपना नाम अमर करता जाए -
जो लड़कर अपवादों से
जीवन जीते ।
जो हालातों से हरदम
लड़ना सीखे ।।
जो घबराकर कष्टों से
विश्राम करे न ।
सपना जब तक न हो पूरा
आराम करे न ।।
ये समय उसी का है
जो आगे बढ़ जाए ।
ये दुनिया उसी की है
जो कुछ कर जाए ।।......
जो टकराकर बड़े पहाड़ों से
अपनी जगह बनाए ।
जो खुद ही अपना झंडा
हरदम लहराए ।।
जो रहे भरोसे में न
दुनिया वालों के ।
जो पड़े न चक्कर में
धोखेबाजों के ।।
ये समय उसी का है
जो आगे बढ़ जाए ।
ये दुनिया उसी की है
जो कुछ कर जाए ।।.......
जो, अपना स्थान बनाए वहां
जहां कोई पहुंच न पाए ।
जिसका दमखम दुनिया वाले
देख देख मजबूर हो जाएं ।।
जिसका अस्तित्व अंत तक
मिटा न पाए कोई ।
वो जो चाहे बस उसकी
इच्छा से सब होई ।।
ये समय उसी का है
जो आगे बढ़ जाए ।
ये दुनिया उसी की है
जो कुछ कर जाए ।।........
जिसको तलवार का भय न हो
चाकू से जो डर न जाए ।
तब तक वो हल्का न हो
जो सोचे, जब तक कर न जाए ।।
जब तक लक्ष्य न पूरा हो
अथक परिश्रम करता जाए ।
इंसान वही है जो अपना
नाम अमर करता जाए ।।
ये समय उसी का है
जो आगे बढ़ जाए ।
ये दुनिया उसी की है
जो कुछ कर जाए ।।........
लेखक कवि एवं गीतकार -
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)
9118837179
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