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सोमवार, 9 नवंबर 2020

मेरी माँ। इतनी बड़ी दुनिया में बस वो ही सच्ची लगती है, कितनी भी मुझसे गुस्सा हो बस वो ही अच्छी लगती है। जिसके बिन घर का आँगन सूना सूना सा लगता है, उस प्यारी माँ के बिन भी तो एक पल भी भारी लगता है। माँ के बाहर जाने पर जब हम अकेले रह जाते हैं, पापा के गुस्सा होने पर हम अपने आँसू छुपाते हैं। जब रात अंधेरी होती है जब सोते हैं हम रोते हैं, जब माँ की यादों के बिन कुछ भी न

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