हर समय इंसानों का घमंड नहीं रहता -
चाहे जितना हो बलवान
वो बलवंत नहीं रहता ।
हर समय इंसानों का
घमंड नहीं रहता ।।
करले मन की मर्जी
जितने दिन कर पाए तू ।
कुछ दिन के महमानों
सबका अंत लिखा रहता ।।
कोई मन का राजा है
कोई खुद को खुदा समझता ।
संसार के स्वामी के आगे
कोई खुदा नहीं रहता ।।
अच्छे अच्छे बिखर गए
समय के तूफानों से ।
समय की गहरी चाल से
कोई जुदा नहीं रहता ।।
सबपे नजर है उसकी
इतना रखना ध्यान ।
पन्ना जब वो फाड़ डालता
फिर, कोई बचा नहीं रहता ।।
जो जलता है आदि अंत तक
वो भी धीमा हो जाता है ।
सूरज भी देखो सर्दी में
प्रचण्ड नहीं रहता ।।
चाहे जितना हो बलवान
वो बलवंत नहीं रहता ।
हर समय इंसानों का
घमंड नहीं रहता ।।
लेखक कवि -
जीतेन्द्र कानपुरी (टैटू वाले)
9118837179
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