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सोमवार, 9 जुलाई 2018

ग़ज़ल - गली-मुहल्लों में देखो वबाल करने लगे - शिव शरण बंधु

गली - मुहल्लों  में  देखो  वबाल  करने लगे
ज़हीन लोग भी क्या-क्या कमाल करने लगे

ज़मीं के लोग मुहब्बत से क्यूं नहीं रहते
फ़लक के चांद, सितारे सवाल करने लगे

अजीब हाल है इस दौर के फ़रिश्तों का
कि जिसको चाहा उसी को हलाल करने लगे

जो हाथ आई हुकूमत तो शरपसंद यहां
तमाम लोगों का जीना मुहाल करने लगे

यहां तो और भी ख़तरे हैं ज़िंदगी के लिए
परिंदे शह्र में आकर मलाल करने लगे

जो चन्द पैसों की आमद का इंतज़ाम हुआ
हमारे लोग हमारा ख़याल करने लगे

सियाह शब का तकब्बुर भी टूट सकता है
बस एक जुगनू अगर देखभाल करने लगे

     -हथगाम-फ़तेहपुर
(उत्तर प्रदेश) 212 652
----9415166683


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