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गुरुवार, 5 जुलाई 2018

चेहरा हम भूल भी जाएं भले इक दूसरे का - आदित्य तोमर

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चेहरा हम भूल भी जाएं भले इक दूसरे का,
पर हमारे प्यार की छोटी कहानी याद रखना.

ख़्वाब में भी दूसरों की भीड़ हो अब लाज़मी है,
वक़्त मिलता ही नहीं इतना कि सोचें क्या कमी है,
दूसरों की ख्वाहिशों, आराइशों के हो चुके हैं,
 (आराइश - सजावट)
हम कहाँ हम रह गए, फरमाइशों के हो चुके हैं,
धुंध छाए चित्र की मुस्कान देती है गवाही,
ज़िन्दगी हमने कभी जी थी सुहानी याद रखना,
बस हमारे प्यार की छोटी कहानी याद रखना.

क्या करें वीरान ख़्वाबों के ये साये नोंचते हैं,
बारहा तन्हाइयों में डूबकर हम सोचते हैं,
काश गुज़रा वक़्त फिरने की कोई तरक़ीब होती,
हाँ, तुम्हारे लौट आने की कोई उम्मीद होती,
हर क़दम पर इश्क़ के क़िस्से तुम्हें बिखरे मिलेंगे,
तुम अगर लौटो तो ये राहें पुरानी याद रखना.
बस हमारे प्यार की छोटी कहानी याद रखना.
-
क्या करें अब जो भी है, अपनी यही बस ज़िन्दगी है,
फ़िर भी नादां दिल को अपने इश्क़ पर इतना यकीं है,
दूर रहकर भी मोहब्बत तो निभाते तुम रहोगे.
गीत मैं लिखता रहूँगा, गुनगुनाते तुम रहोगे.
अक्षरों में प्यास का अहसास मैं भर तो रहा हूँ,
गीत छलकाये जो कोई दर्द जानी, याद रखना,
हाँ, हमारे प्यार की छोटी कहानी याद रखना.

    ©आदित्य तोमर
  वज़ीरगंज, बदायूँ(उ.प्र.)
  +919368656307

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