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शनिवार, 7 जुलाई 2018

मुक्तक - विचरण भले कहीं भी कर लो -- पवन शंखधार

विचरण भले कहीं भी कर लो अपना घर अपना होता है ।
भले  सप्तरंगी   हो  पर  सपना  तो  सपना  होता  है ।।
संघर्ष  कष्ट  और  विपदायें  जीवन  के  वैभव  होते  हैं ,
इतिहास पुरुष बनने के लिये जीवन भर तपना  होता है ।।

पवन शंखधार
कवि / मंच संचालक
 स्वरदूत -9927433400


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