सदा उनके लिए तो बेरुखी होना नही अच्छा ।।
अगर हो क्रोध में कोई तो कुछ भी बोल देता है ।
हमेशा ऐसी बातें दिल पे तो ढोना नही अच्छा ।।
जो जैसा करता है उसकी वही आदत है ये समझो ।
किसी की बातों से विश्वास को खोना नही अच्छा ।।
किसी के वास्ते गर तुम फूल बन कर खिल नही सकते ।
किसी की राह में कांटो का तो बोना नही अच्छा ।।
अगर जो चाहते हो तुम कभी सेहत नही बिगड़े ।
सुबह फिर इस तरह से देर तक सोना नही अच्छा ।।
दिलो की नफ़रतें होती नही है दूर नफरत से ।
किसी के भी लिए तो 'प्रीत' का होना नही अच्छा।।
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सन्तोष कुमार 'प्रीत' |
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