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रविवार, 8 जुलाई 2018

लगाते ठेस अपने ही मगर रोना नही अच्छा - संतोष कुमार

लगाते  ठेस अपने ही मगर रोना नही अच्छा ।
सदा उनके लिए तो बेरुखी होना नही अच्छा ।।

अगर हो क्रोध में कोई तो कुछ भी बोल देता है ।
हमेशा ऐसी बातें दिल पे तो ढोना नही अच्छा ।।

जो जैसा करता है उसकी वही आदत है ये समझो ।
किसी की बातों से विश्वास को खोना नही अच्छा ।।

किसी के वास्ते गर तुम फूल बन कर खिल नही सकते ।
किसी की राह में कांटो का तो बोना नही अच्छा ।।

अगर जो चाहते हो तुम कभी सेहत नही बिगड़े ।
सुबह फिर इस तरह से देर तक सोना नही अच्छा ।।

दिलो की नफ़रतें होती नही है दूर नफरत से ।
किसी के भी लिए तो 'प्रीत' का होना नही अच्छा।।
सन्तोष कुमार 'प्रीत'


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