विधान~ चार चरण,प्रत्येक चरण में 15 मात्राएँ, अंत में गुरु लघु, दो-दो चरण समतुकांत
जय जय हो सबकी जयकार|
जयकरी छन्द करे पुकार||
राम नाम का हो मनुहार|
सकल कर्म है जीवन सार||
शाला में नित सुंदर छंद|
भाव जगाते प्रभु के वंद||
मधुर-मधुर सी मधु मकरन्द|
शब्द बोलते जय बृज नंद||
राधारानी की जयकार|
जन जन में होवे सहकार||
कृष्ण कृपा से हो जग पार|
भजन मुक्ति का है आधार||
प्रेम दया है मनु का धर्म|
तन मन से हो सेवा कर्म||
कोमल पावन हिय हो नर्म|
सरल सरस हो जीवन मर्म||
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© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल' |
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