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रविवार, 8 जुलाई 2018

ग़ज़ल - दिखाओ आँख मत हमको, तेरे ही हम दिवाने है - बृजमोहन श्रीवास्तव

दिखाओ आँख मत हमको, तेरे ही हम  दिवाने है ।
भले  ही भूल जा मुझको , तेरे आशिक  पुराने है ।।

जिसे  मनमीत कहते हो , नज़र  लूट  लेगा वो  ।
नज़र के वार से बचना ,गजब उसके निशाने है ।।

हसीना जब कहे है हाँ , हंसी दुनिया ये हो जाती ।
मना करती हसीना जब ,लगे अपने बेगाने है ।।

बड़ी कातिल अदांऐ है , कई मजनू किये पागल ।
जरा बचना हसीनो से , बने  इनसे  मैखाने  है ।।

समन्दर कब हुआ खारा, सुनो साथी कहे सबसे ।
बहाये अश्क आशिक ने , उसी के ये फसाने है ।।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी" डबरा

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