दिखाओ आँख मत हमको, तेरे ही हम दिवाने है ।
भले ही भूल जा मुझको , तेरे आशिक पुराने है ।।
जिसे मनमीत कहते हो , नज़र लूट लेगा वो ।
नज़र के वार से बचना ,गजब उसके निशाने है ।।
हसीना जब कहे है हाँ , हंसी दुनिया ये हो जाती ।
मना करती हसीना जब ,लगे अपने बेगाने है ।।
बड़ी कातिल अदांऐ है , कई मजनू किये पागल ।
जरा बचना हसीनो से , बने इनसे मैखाने है ।।
समन्दर कब हुआ खारा, सुनो साथी कहे सबसे ।
बहाये अश्क आशिक ने , उसी के ये फसाने है ।।
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
भले ही भूल जा मुझको , तेरे आशिक पुराने है ।।
जिसे मनमीत कहते हो , नज़र लूट लेगा वो ।
नज़र के वार से बचना ,गजब उसके निशाने है ।।
हसीना जब कहे है हाँ , हंसी दुनिया ये हो जाती ।
मना करती हसीना जब ,लगे अपने बेगाने है ।।
बड़ी कातिल अदांऐ है , कई मजनू किये पागल ।
जरा बचना हसीनो से , बने इनसे मैखाने है ।।
समन्दर कब हुआ खारा, सुनो साथी कहे सबसे ।
बहाये अश्क आशिक ने , उसी के ये फसाने है ।।
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बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी" डबरा |
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