कैसे मानू कट्टर हिन्दू मर रहे आज हिन्दू भाई
तुम ढोल पीटते छाती पर औ बजा रहे हो सहनाई
इनके घर में मातम पसरा सन्नाटा मुझे दिखा भारी
इन मासूमों पर जुल्म ढहा करते उन्नीस की तैयारी
गंगा पर बसे बनारस में रैली में तुमने वोला था
जुम्मेदारी अब मेरी भाषण में शव्द ये तोला था
माँ गंगा ने भी सुने शव्द वह सोच रही मन में होगी
माँ से भी झूठ वोलते हैं बदनामी जन जन में होगी
मर चुके उन्हीं की लाशों पर सत्ता लेकर इठलातें हैं
इनके घर जाकर देखो तो भूखे बच्चे चिल्लाते है
जब जब कोई बेबस रोकर दिल ही दिल में जलता है
चाहे जो सत्ता भोगी हो सिंहासन उसका हिलता है
कौरव दल में सब योद्धा थे फिर कुरूक्षेत्र क्यों हार गये
वनवास भले ही भोगा हो पर पाण्डव बाजी मार गये
सत्य सनातन सनातनी परिभाषा नही दिखी मुझको
जख्मों पर मरहम लगा सके वो आशा नही दिखी मुझको
जो खुद को कहते रामभक्त वो झूठ बोलते दिखे मुझे
पाँच साल तक अपनों की ही पोल खोलते दिखे मुझे
महिला भी मरी ये पुरुष मरे बच्चों ने चिता जलायी है
सत्ता के चौकीदारों का एक शव्द न पड़ा दिखाई है
बड़े बड़े फनकारों ने दो शव्द नही वोले इन पर
दाताओं ने आकांओ के दिल रहम नही डोले इन पर
नीति राम की नही दिखी मर्यादा नही दिखाई दी
सूर्य वंश जैसी कोई परिभषा नही दिखाई दी
जो नीति नही अपना सकते वो राम को क्या अपनायेगें
जो पड़ा अयोध्या में तम्बू उसको कैसे हटबायेंगें
जिसके भगवान हो तम्बू में वह सोते दिखे कोठियों में
उसके न कलेजा दिखा शेर है पानी भरा बोटियों में
बेबस मजबूर दुखी का जो जमकर उपहास उडाते हैं
वो गीदड ही रह जाते हैं वो शेर नहीं कहलाते हैं
घर घर का शिक्षा मित्र जगा तो सत्ता को हिलवायेगा
अभी समझ रहे जिसको लल्लू इतिहास बदल कर जायेगा
💐💐💐💐💐💐💐💐
जय हिन्द जय भारत
तुम ढोल पीटते छाती पर औ बजा रहे हो सहनाई
इनके घर में मातम पसरा सन्नाटा मुझे दिखा भारी
इन मासूमों पर जुल्म ढहा करते उन्नीस की तैयारी
गंगा पर बसे बनारस में रैली में तुमने वोला था
जुम्मेदारी अब मेरी भाषण में शव्द ये तोला था
माँ गंगा ने भी सुने शव्द वह सोच रही मन में होगी
माँ से भी झूठ वोलते हैं बदनामी जन जन में होगी
मर चुके उन्हीं की लाशों पर सत्ता लेकर इठलातें हैं
इनके घर जाकर देखो तो भूखे बच्चे चिल्लाते है
जब जब कोई बेबस रोकर दिल ही दिल में जलता है
चाहे जो सत्ता भोगी हो सिंहासन उसका हिलता है
कौरव दल में सब योद्धा थे फिर कुरूक्षेत्र क्यों हार गये
वनवास भले ही भोगा हो पर पाण्डव बाजी मार गये
सत्य सनातन सनातनी परिभाषा नही दिखी मुझको
जख्मों पर मरहम लगा सके वो आशा नही दिखी मुझको
जो खुद को कहते रामभक्त वो झूठ बोलते दिखे मुझे
पाँच साल तक अपनों की ही पोल खोलते दिखे मुझे
महिला भी मरी ये पुरुष मरे बच्चों ने चिता जलायी है
सत्ता के चौकीदारों का एक शव्द न पड़ा दिखाई है
बड़े बड़े फनकारों ने दो शव्द नही वोले इन पर
दाताओं ने आकांओ के दिल रहम नही डोले इन पर
नीति राम की नही दिखी मर्यादा नही दिखाई दी
सूर्य वंश जैसी कोई परिभषा नही दिखाई दी
जो नीति नही अपना सकते वो राम को क्या अपनायेगें
जो पड़ा अयोध्या में तम्बू उसको कैसे हटबायेंगें
जिसके भगवान हो तम्बू में वह सोते दिखे कोठियों में
उसके न कलेजा दिखा शेर है पानी भरा बोटियों में
बेबस मजबूर दुखी का जो जमकर उपहास उडाते हैं
वो गीदड ही रह जाते हैं वो शेर नहीं कहलाते हैं
घर घर का शिक्षा मित्र जगा तो सत्ता को हिलवायेगा
अभी समझ रहे जिसको लल्लू इतिहास बदल कर जायेगा
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जय हिन्द जय भारत
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राजेश मिश्र |
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