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शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

कलम अनवरत् फिर चलती जायेगी तब हमें खूबसूरत सी मंजिल हासिल होगी - विकास भारद्वाज

गुरू जी चरणों में मेरी कुछ पंक्तियां समर्पित :-

गुरू-चरणों से गुरू - ह्र्दय तक, गुरू-प्रेम से सींचेगा जब रूह अपनी होगी ।
कलम अनवरत् फिर चलती जायेगी तब हमें खूबसूरत सी मंजिल हासिल होगी !।
गुरू ही दर्पण, शिक्षा के द्वारा जनमानस-समाज को जागृत करते,
गुरू की डांट से न इतराना इसमें हमारी छुपी हुई भलाई होगी ।।

हम रोज अभ्यास करे, गुरू जी बड़े प्यार से सिखाते है ।
गुरू जी के आशीर्वाद से ही हम अच्छा सृजन कर पाते है ।।
गुरू का तुम अपमान न करना वो सिर्फ सम्मान चाहते हैं,
जीवन में आने वाली कठिनाईयों से हमें अवगत कराते हैं ।।

© विकास भारद्वाज
  27 जुलाई  2018


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