गुरू जी चरणों में मेरी कुछ पंक्तियां समर्पित :-
गुरू-चरणों से गुरू - ह्र्दय तक, गुरू-प्रेम से सींचेगा जब रूह अपनी होगी ।
कलम अनवरत् फिर चलती जायेगी तब हमें खूबसूरत सी मंजिल हासिल होगी !।
गुरू ही दर्पण, शिक्षा के द्वारा जनमानस-समाज को जागृत करते,
गुरू की डांट से न इतराना इसमें हमारी छुपी हुई भलाई होगी ।।
कलम अनवरत् फिर चलती जायेगी तब हमें खूबसूरत सी मंजिल हासिल होगी !।
गुरू ही दर्पण, शिक्षा के द्वारा जनमानस-समाज को जागृत करते,
गुरू की डांट से न इतराना इसमें हमारी छुपी हुई भलाई होगी ।।
हम रोज अभ्यास करे, गुरू जी बड़े प्यार से सिखाते है ।
गुरू जी के आशीर्वाद से ही हम अच्छा सृजन कर पाते है ।।
गुरू का तुम अपमान न करना वो सिर्फ सम्मान चाहते हैं,
जीवन में आने वाली कठिनाईयों से हमें अवगत कराते हैं ।।
गुरू जी के आशीर्वाद से ही हम अच्छा सृजन कर पाते है ।।
गुरू का तुम अपमान न करना वो सिर्फ सम्मान चाहते हैं,
जीवन में आने वाली कठिनाईयों से हमें अवगत कराते हैं ।।
© विकास भारद्वाज
27 जुलाई 2018
27 जुलाई 2018
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