धन्य धरा धन धान्य धारती|
आओ उतारें आरती||---²
जिसकी रज का तिलक लगाते|
जिसकी रज में पले बढ़े||
प्यारी मेरी वह भारत माँ|
उँगली थामे हुए खड़े||
निज बच्चों की बज्र शक्ति बन|
शत्रु सदैव संहारती ||
आओ उतारें आरती, आओ उतारें आरती||
भूल भुलैयों वाली गलियाँ|
कुञ्ज लता सब सोहें||
थलचर जलचर नभचर सहचर|
सबके सब ही मन मोहें||
आ जाना ओ कान्हा मेरे|
यशोदा तुझे पुकारती||
आओ उतारें आरती,आओ उतारें आरती ||
एक तरफ गिरिराज हिमालय |
एक तरफ गहरा सागर||
भारत वीरों की धरती है |
दिल देश प्रेम की गागर||
शत्रु सदा भय से मरते हैं|
जब भारत माँ हुँकारती||
आओ उतारें आरती, आओ उतारें आरती ||

दिलीप कुमार पाठक "सरस"
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