मुक्तक
1
कहीं कोई कशिश तो है मेरे दिलबर की आंहो में ।
मुझे जन्नत नज़र आई मेरे दिल बर की बाँहों में ।।
करूँ मैं इल्तजा रब से उसे महफूज तुम रखना ,
नहीं कांटा चुभे कोई मेरे दिल बर की राहों में ।।
राजेश शर्मा प्र. अ.
नगर पंचायत रिठौरा बरेली
1
कहीं कोई कशिश तो है मेरे दिलबर की आंहो में ।
मुझे जन्नत नज़र आई मेरे दिल बर की बाँहों में ।।
करूँ मैं इल्तजा रब से उसे महफूज तुम रखना ,
नहीं कांटा चुभे कोई मेरे दिल बर की राहों में ।।
2
करे तन मन को जो पावन वो गंगा जल बना देना ।
बुझा दे प्यास धरती की वही बादल बना देना ।।
मैं तो हो गया हूँ इस कदर उस रूप पर मोहित,
लगे नयनों में जो उसके वही काजल बना देना ।।
राजेश शर्मा प्र. अ.
नगर पंचायत रिठौरा बरेली
वाहह बहुत सुंदर
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