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शनिवार, 23 जून 2018

सज़ल क्या है ---

आजकल "सजल "- नाम से भी साहित्य की एक विधा विकसित हो रही है ।
     इसका स्वरूप गजल जैसा ही होता है लेकिन गजल जैसे सख्त नियम  नही होते ।
      इसे लिखने के लिए --

1--किसी बहर की जरूरत नही पड़ती । पहली पंक्ति में जितनी मात्राएं होती है अंत तक अन्य पंक्तियों में भी उतनी ही मात्राएं होनी आवश्यक है ।
2--दो दो पंक्तियों का एक शेर होता है ।
3- हर शेर स्वतन्त्र होता है
4- इसमे उर्दू के शब्दों के स्थान पर हिंदी के शब्दों का प्रयोग होता है ।
5- गेयता गजल की तरह इसका भी आवश्यक तत्व होता है ।।

डॉ  अनिल गहलौत इस विधा के प्रवर्तक माने जाते है । उन्होंने ही इस सजल के रूप में प्रतिष्ठित किया है ।।

सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर

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