बस इसी से
तम्बुओं में बैठकर भी
धैर्य की प्रतिमा बने से
बाट जोहे जा रहे हैं ।
बस इसी से
शांति के संकल्प के हित
पक्ष जनमत का समझकर
दूर रहते हैं पहल से ।
बस इसी से
राजनेता तो नहीं पर
राजधर्मा व्यक्ति जैसा
कर रहे व्यवहार अब तक ।
शक्ति पर अंकुश लगाना
धर्म का परचम उठा -
उन्मादियों के गढ़ ढहाना
प्रेम में कटिबद्ध होकर
सागरों के पार जाना
दुष्ट का संहार करना
भक्त के हित हार जाना
शांति की स्थापना, वह -
यत्न कर जाना उन्हें है
बाण से पहले विनय का
मार्ग अपनाना उन्हें है ।।
वज़ीरगंज, बदायूँ
5 अप्रैल, 2017
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