यहाँ के लोग सच बताते क्यूँ नहीं...
हैं प्यार तो फिर जताते क्यूँ नहीं...
हैं प्यार तो फिर जताते क्यूँ नहीं...
भला चुप रहने से क्या होगा बताओ..
हक हैं तो फिर लेने आते क्यूँ नहीं....
हक हैं तो फिर लेने आते क्यूँ नहीं....
काविशें तक नहीं करते लोग यहाँ के...
छूटा प्यार लोग अब जुटाते क्यूँ नहीं.....
(काविशें=कोशिशें)
छूटा प्यार लोग अब जुटाते क्यूँ नहीं.....
(काविशें=कोशिशें)
इकरार करोगें तभी तो प्यार मिलेगा...
दिल से दिल अपना मिलाते क्यूँ नहीं......
दिल से दिल अपना मिलाते क्यूँ नहीं......
गलतफेमियाँ हुई खुशियों के दरम्यान...
गर बस चुकीं हैं तो मिटाते क्यूँ नहीं......
गर बस चुकीं हैं तो मिटाते क्यूँ नहीं......
अगर सनम तुम्हारा हैं तो रहेगा भी...
असल प्यार अपना वो दिखाते क्यूँ नहीं.....
असल प्यार अपना वो दिखाते क्यूँ नहीं.....
गुनगुनाओ यार तुम ग़ज़लें मुहब्बत की...
न मिलें दिल तो हाथ मिलाते क्यूँ नहीं....
न मिलें दिल तो हाथ मिलाते क्यूँ नहीं....
मुकद्दर में लिखा नहीं मिलता "पारस"...
सिक्का किस्मत का आजमाते क्यूँ नहीं.....
सिक्का किस्मत का आजमाते क्यूँ नहीं.....
पारस गुप्ता (शायर दिलसे)
चंदौसी (सम्भल)
चंदौसी (सम्भल)
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