हिंदी साहित्य वैभव

EMAIL.- Vikasbhardwaj3400.1234@blogger.com

Breaking

सोमवार, 25 जून 2018

ग़ज़ल - भला चुप रहने से क्या होगा - पारस गुप्ता

यहाँ के लोग सच बताते क्यूँ नहीं...
हैं  प्यार तो फिर जताते क्यूँ नहीं...
भला चुप रहने से क्या होगा बताओ..
हक हैं तो फिर लेने आते क्यूँ नहीं....
काविशें तक नहीं करते लोग यहाँ के...
छूटा प्यार लोग अब जुटाते क्यूँ नहीं.....
(काविशें=कोशिशें)
इकरार करोगें तभी तो प्यार मिलेगा...
दिल से दिल अपना मिलाते क्यूँ नहीं......
गलतफेमियाँ हुई खुशियों के दरम्यान...
गर बस चुकीं हैं तो मिटाते क्यूँ नहीं......
अगर सनम तुम्हारा हैं तो रहेगा भी...
असल प्यार अपना वो दिखाते क्यूँ नहीं.....
गुनगुनाओ यार तुम ग़ज़लें मुहब्बत की...
न मिलें दिल तो हाथ मिलाते क्यूँ नहीं....
मुकद्दर में लिखा नहीं मिलता "पारस"...
सिक्का किस्मत का आजमाते क्यूँ नहीं.....
पारस गुप्ता (शायर दिलसे)
   चंदौसी (सम्भल)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हिंदी साहित्य वैभव पर आने के लिए धन्यवाद । अगर आपको यह post पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर कीजिये और comments करके बताये की आपको यह कैसा लगा और हमारे आने वाले आर्टिक्ल को पाने के लिए फ्री मे subscribe करे
अगर आपके पास हमारे ब्लॉग या ब्लॉग पोस्ट से संबंधित कोई भी समस्या है तो कृपया अवगत करायें ।
अपनी कविता, गज़लें, कहानी, जीवनी, अपनी छवि या नाम के साथ हमारे मेल या वाटसअप नं. पर भेजें, हम आपकी पढ़ने की सामग्री के लिए प्रकाशित करेंगे

भेजें: - Aksbadauni@gmail.com
वाटसअप न. - 9627193400

विशिष्ट पोस्ट

सूचना :- रचनायें आमंत्रित हैं

प्रिय साहित्यकार मित्रों , आप अपनी रचनाएँ हमारे व्हाट्सएप नंबर 9627193400 पर न भेजकर ईमेल- Aksbadauni@gmail.com पर  भेजें.