आप हम को भूल भी जाओ न कोई हर्ज है,
आप को दिल मे रखेंगे ये हमारा फर्ज है |
आप को दिल मे रखेंगे ये हमारा फर्ज है |
फाड़ दे बेशक सभी पन्ने मुहब्बत के मगर,
आज भी गुस्ताख़ दिल पर नाम तेरा दर्ज है |
आज भी गुस्ताख़ दिल पर नाम तेरा दर्ज है |
लाख चाहे तुम छिपा लो जिंदगी का राज सब,
कर रही आँखे बयां ये इश्क का ही मर्ज है |
कर रही आँखे बयां ये इश्क का ही मर्ज है |
लूट के दिल तब खज़ाना दे गये थे प्यार का,
साथ छूटा आज, हम पर रह गया कुछ कर्ज है।
साथ छूटा आज, हम पर रह गया कुछ कर्ज है।
इश्क ने हम को सिखाया गुनगुनाना दर्द में,
गा रही है 'दीप्त' जो वो आपकी दी तर्ज है।
गा रही है 'दीप्त' जो वो आपकी दी तर्ज है।
सुदिप्ता बेहेरा "दीप्त"
उड़ीसा
उड़ीसा
Waah
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