मुहब्बत दिलों की कहानी कहेगी.....
या मेरे अश्रुओं को पानी कहेगी.....
कहा जाए कैसे मुहब्बत के मारे...
ये चाहत दिलों की रवानी कहेगी.....
ये चाहत दिलों की रवानी कहेगी.....
बहुत हैं दिवाने तुम्हारें यहां पर...
ये दुनिया तुझे मेरी रानी कहेगी.....
ये दुनिया तुझे मेरी रानी कहेगी.....
कयामा नहीं हैं सिवा तेरे दिल के...
न ये दिल को बस्ती पुरानी कहेगी.....
न ये दिल को बस्ती पुरानी कहेगी.....
अदा देख तेरी हुए मदहोश हम तो...
अदा को ना दुनिया दिवानी कहेगी.....
अदा को ना दुनिया दिवानी कहेगी.....
कलम से गजल तक लिखेंगे तुम्हीं को...
कलम जो तुम्हें अब निशानी कहेगी.....
कलम जो तुम्हें अब निशानी कहेगी.....
पारस गुप्ता (शायर दिलसे)
चंदौसी (सम्भल)
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