हिंदी साहित्य वैभव

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सोमवार, 25 जून 2018

7:31 pm

जब कालरात्रि बढ़ती ओढ़नी पसार हो - आदित्य तोमर

जब कालरात्रि बढ़ती ओढ़नी पसार हो. हर ओर सघन क्रूरतम नैशान्धकार हो. निद्रारणवों की थाह गाहती हो चेतना. मधुकैटभी प्रवृत्ति चाहती हो जीतना. उस वक़्त अग्निहोत्र...
7:29 pm

ग़ज़ल - आप हम को भूल भी जाओ न कोई हर्ज है - सुदीप्ता बेहरा

आप हम को भूल भी जाओ न कोई हर्ज है, आप   को  दिल मे रखेंगे ये हमारा फर्ज है | फाड़ दे बेशक सभी पन्ने मुहब्बत के मगर, आज भी गुस्ताख़...
7:26 pm

ग़ज़ल - यहां बात सच इक कहानी कहेगी - नीतेन्द्र परमार

यहां  बात सच इक कहानी कहेगी । जिगर  में  उठे  वो  रवानी  कहेगी।। मिलो तुम कभी जब सितारे निहारे । चिरागों  जले ...
7:22 pm

ग़ज़ल - भला चुप रहने से क्या होगा - पारस गुप्ता

यहाँ के लोग सच बताते क्यूँ नहीं... हैं  प्यार तो फिर जताते क्यूँ नहीं... भला चुप रहने से क्या होगा बताओ.. हक हैं तो फिर लेने आते क्यूँ नहीं.... काविशें...
6:20 am

राम हैं वे बस इसी से तम्बुओं में बैठकर - आदित्य तोमर

राम हैं वे बस इसी से तम्बुओं में बैठकर भी धैर्य की प्रतिमा बने से बाट जोहे जा रहे हैं । राम हैं वे बस इसी से शांति के संकल्प के हित पक्ष जनमत का...
1:22 am

मुहब्बत ग़ज़ल संग्रह में राजेन्द्र कुमार गुप्त 'बावरा' की कुछ ग़ज़लेंं

ग़ज़ल 1 आदमी  तो  दुखी  ही  रहा । दर्द   से   होंठ  है  सी  रहा ।। ऐ   चमन   के ...

शनिवार, 23 जून 2018

5:43 pm

मुक्तक - मेरी तनहाई को कोई आवाज तो दे

मेरी तनहाई को कोई आवाज तो दे, मेरे  प्रेम गीत  को कोई साज तो  दे, कदमों में झुका दे हम  आसमाँ  को, मेरे सपनों को  कोई ...
5:41 pm

ग़ज़ल - दिखाओ आँख मत हमको , तेरे ही हम  दिवाने है

दिखाओ आँख मत हमको , तेरे ही हम  दिवाने है । भले ही भूल जा मुझको ,तेरे  आशिक पुराने है ।। जिसे *मनमीत* कहते हो , नज़र लूट लेगा वो  । नज़र...
5:40 pm

धमकी ! धमकी ! गीदड़ भभकी, देते हैं

धमकी ! धमकी ! गीदड़ भभकी, देते हैं हमको रोज़-रोज़. हाथों में थामे रहते हम, जैतून-शाख, मैत्री-सरोज. आये दिन शांति कपोतों का, बढ़-बढ़कर क़त्ल किया जाता. भारत...
3:35 am

आदमी गिर गया अपनी औकात से - राजेश मिश्र प्रयास

आदमी गिर गया अपनी औकात से । झूठ भी वोलता अपने माँ-बाप से ।। आज नांगो से इतना है खतरा नही, टूट जाता स्वयं अपने हालात से ।। झूठ --------- गुरु ने मांगा...
12:52 am

सज़ल क्या है ---

आजकल "सजल "- नाम से भी साहित्य की एक विधा विकसित हो रही है ।      इसका स्वरूप गजल जैसा ही होता है लेकिन गजल जैसे सख्त नियम ...

शुक्रवार, 22 जून 2018

8:29 pm

कहीं कोई कशिश तो है मेरे दिल बर की आंहो में

 मुक्तक 1 कहीं कोई कशिश तो है मेरे दिलबर की आंहो में । मुझे जन्नत नज़र आई मेरे दिल बर की बाँहों में ।। करूँ मैं इल्तजा रब से उसे महफूज तुम रखना...
8:16 pm

मनहरण घनाक्षरी- बृजमोहन श्रीवास्तव

स्वस्थ यदि रहना है , बात यही कहना है । खुशहाल जीवन का ,योग गुरु मंत्र  है ।। योग करे रोग दूर , खुशी मिले भरपूर । प्रकृति का रूप योग , ईश्वर का यंत्र...
4:45 am

ग़ज़ल- जादूगर सा काम किया है यार तुम्हारी भाभी ने

जादूगर सा काम किया है यार तुम्हारी भाभी ने एक मकां को धाम किया है यार तुम्हारी भाभी ने दिल छलनी, बेक़ाबू सांसें, घायल नज़रें, चाक जिगर लगभग क़त्ल-ए-आम...
12:25 am

ग़ज़ल- फुरकत के लम्हों में

फुरकत के लम्हों में नैन अब चार कर लूं मैं । दानिशतां  सनम  मेरे  तुझे  प्यार कर लूं मैं ।। खुद को भुला दुं खो जाऊं कुछ इस तरह तुझमें ...

गुरुवार, 21 जून 2018

9:24 pm

ग़ज़ल - मुहब्बत दिलों की कहानी कहेगी

मुहब्बत दिलों की कहानी कहेगी..... या  मेरे  अश्रुओं को पानी कहेगी..... कहा  जाए  कैसे  मुहब्बत के मारे... ये चाहत दिलों...

मंगलवार, 19 जून 2018

8:53 pm

कश्मीर का साढे तीन साल के गठबंधन पर प्रस्तुत कविता - राजेश मिश्र 'प्रयास'

महबूबा मुफ्ती रूठ गयी सरकार वहां की टूट गयी इतने दिन तक कहर ढहाया कर सैनिक पर बार आज क्यों टूट गयी सरकार ------- साढे तीन साल तक जमकर सिर फूटे थे सेना...

मंगलवार, 5 जून 2018

रविवार, 3 जून 2018

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