तुम साथ न दो मेरा खुद राह बना लेंगे
धरती से गगन तक हम मंजिल को' भी' पा लेंगे।
धरती से गगन तक हम मंजिल को' भी' पा लेंगे।
क्या आज हुआ तुमको, जो रूठ गये साजन,
हम अपने ही' शानों पर, हर बोझ उठा लेंगे।।
हम अपने ही' शानों पर, हर बोझ उठा लेंगे।।
काँटो से' बगावत भी, क्या करना' जमाने में,
चुभते हैं' अगर तो हम, कलियों को' खिला लेंगे।।
चुभते हैं' अगर तो हम, कलियों को' खिला लेंगे।।
गिरते हुए' अश्कों का, इक मोल जरूरी है,
हम दिल के' दरीचे भी, आंखों को' बना लेंगे।।
हम दिल के' दरीचे भी, आंखों को' बना लेंगे।।
इक दर्द छुपा दिल में, मुश्किल है' समझ पाना,
हर ग़म को' 'सना' लेकिन, खुशियों से मिला लेंगे।।
हर ग़म को' 'सना' लेकिन, खुशियों से मिला लेंगे।।
सना परवीन
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