काफिया - आर
रदीफ- में
रदीफ- में
ज़िंदगी गुज़रे ज़रा - से प्यार में ।
क्या रखा है जीत में सुन हार में ।।
रोकते काँटे हमारे प्यार को ।
काट सकते ज़िंदगी हम ख़ार में ।।
काट सकते ज़िंदगी हम ख़ार में ।।
गुनगुनाते हैं सदा हम गीत ही ।
चल पड़ें हम गीत की गुंजार में ।।
चल पड़ें हम गीत की गुंजार में ।।
मिल सके जो साथ तेरा सुन ज़रा ।
क्या रखा है फिर किसी श्रृंगार में ।।
क्या रखा है फिर किसी श्रृंगार में ।।
जीत तेरी हो कि मेरी सुन सजन ।
खुशनुमा हो हम जियें संसार में ।।
खुशनुमा हो हम जियें संसार में ।।
रंग भर लो प्यार के दिल में सभी ।
भर सकें खुशियाँ सभी त्योहार में ।।
भर सकें खुशियाँ सभी त्योहार में ।।
प्यार से मिलजुल रहें देखो सदा ।
क्या रखा है व्यर्थ की तक़रार में ।।
क्या रखा है व्यर्थ की तक़रार में ।।
डगमगाती कश्तियाँ डरना नहीं ।
बस भरोसा तुम रखो पतवार में ।।
बस भरोसा तुम रखो पतवार में ।।
नफ़रतों की छोड़ कर दुनिया ज़रा ।
ढूँढ़ लो जादू ज़रा - सा प्यार में ।।
ढूँढ़ लो जादू ज़रा - सा प्यार में ।।
(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
4.3.2020 , 4:44पीएम पर रचित ।
4.3.2020 , 4:44पीएम पर रचित ।
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