पुराने किरदार से निकल,
तू नए किरदार में ढल जाना,
तन्हाई में ना खोकर,
आशाओं में टहल आना,
गरीबों की महफ़िल में जाकर,
अमीरी का पता लगाना,
वो कैसे खुश रहते है वहां,
ज़रा हमें भी बताना,
तकलीफों की किल्लत किन्हें नहीं,
सब्र की महफ़िल सजाना,
ये कदम फ़रेबी हो ना जाएं,
हौसलों से इन्हें बढ़ाना,
अंजाम-ए-वफ़ा का दौर भी,
आता है, कभी-कभी,
यूँ अश्कों में ना डूब जाना......
मुअस्सर-ए-तस्कीन रूह को हो,
एहतिज़ाज़ न करना, मुस्कुराना,
क्या कहेगा ज़माना,
क्या समझेगा ज़माना,
यह सब भूल जाना...
डर किस बात का, ए'तिमाद बरत,
आसिफ़ है तू, खुद ही को समझाना,
पुराने किरदार से निकल,
तू नए किरदार में ढल जाना,
तन्हाई में ना खोकर,
आशाओं में टहल आना।
"Vj Bagchi"
मगहर
संत कबीर नगर
उत्तर प्रदेश

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