मुहब्बत में बड़ा छोटा नहीं है।
मगर ऐसा कभी होता नहीं है।
अभी कैसे कहें हम बात दिल की,
अभी तो नाम भी पूँछा नहीं है।
न जाने कब बहा ले जायें आँसू,
किसी के बस में ये दरिया नहीं है।
अभी आसान है मुझको डुबोना,
यकीं का पुल अभी टूटा नहीं है।
शजर सारे बरहना जिस्म क्यों हैं,
अभी मौसम तो पतझड़ का नहीं है।
तुम्हारे हाथ भी हैं आज खाली,
हमारे पास भी काँसा नहीं है।
तुम्हारे शहर में मैं अजनबी हूँ,
यहाँ मुझको कोई ख़तरा नहीं है।
मैं करता रहता हूँ ख़िदमत अदब की,
ये मेरा शौक है पेशा नहीं है।
© Ujjawal vasishth
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मगर ऐसा कभी होता नहीं है।
अभी कैसे कहें हम बात दिल की,
अभी तो नाम भी पूँछा नहीं है।
न जाने कब बहा ले जायें आँसू,
किसी के बस में ये दरिया नहीं है।
अभी आसान है मुझको डुबोना,
यकीं का पुल अभी टूटा नहीं है।
शजर सारे बरहना जिस्म क्यों हैं,
अभी मौसम तो पतझड़ का नहीं है।
तुम्हारे हाथ भी हैं आज खाली,
हमारे पास भी काँसा नहीं है।
तुम्हारे शहर में मैं अजनबी हूँ,
यहाँ मुझको कोई ख़तरा नहीं है।
मैं करता रहता हूँ ख़िदमत अदब की,
ये मेरा शौक है पेशा नहीं है।
© Ujjawal vasishth
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