आज कल लोग, सब जुदा से हैं ।
जो अभी हैं यहाँ, ख़ुदा से हैं ।।
आईना जो कहे, वही सच है ।
देख अपने ख़फा ख़फा से हैं ।।
देख अपने ख़फा ख़फा से हैं ।।
वो मुहब्बत करें,खनक सुनकर ।
यार रिश्ते, दग़ा.. सजा से हैं ।।
यार रिश्ते, दग़ा.. सजा से हैं ।।
है अभी हाल जो फ़कीरी का ।
उम्र तन्हा कटी दिला से हैं ।।
उम्र तन्हा कटी दिला से हैं ।।
तंग जो जेब,मुँह छिपाते हैं ।
हम जुबाँ बंद, ना-ख़ुदा से हैं।।
हम जुबाँ बंद, ना-ख़ुदा से हैं।।
ना-ख़ुदा - जहाज़ का कप्तान
© डिम्पल शर्मा
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