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शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

तुलसी मानस प्रीत से,हृदय करे झंकार, राम सिया की भूमि पर,भाव करें शृंगार - डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी

तुलसी मानस प्रीत से,हृदय करे झंकार ।
राम सिया की भूमि पर,भाव करें शृंगार ।।
मिथ्या जग की साधना,पढ़ें न मानस वेद,
धन्य हो गये छंद भी,मानस में साकार ।।

जाने अनजाने हमें,हो जाये अभिमान ।।
रोम रोम जब गा उठे, हिंदी हिंदुस्तान ।।
अनदेखे अहसास से,जब हो गर्वित भाल,
सच्चा प्रेमी  देश का,हृदय तिरंगा मान ।           
       
  डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी

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