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रविवार, 19 अगस्त 2018

ग़ज़ल- उमर घटती नही यूँ तो किसी के काम आने से - नेहा नजाकत

उमर घटती नही यूँ तो किसी के काम आने से,
मगर रब रूठ जाता है किसी का दिल दुखाने से ।

तुम्हें आना नही है जब हमे भी भूल जाना है,
सदा देने से क्या हासिल मिले क्या घर सजाने से |

चलो माना तड़प होगी गिला होगा सबब होगा,
कोई रिश्ता तो हो लेकिन तुम्हारा इस दिवाने से |

गिला इसका नहीं मुझको भुलाया किस लिए तुमने,
मगर ये तो बता दो  क्या मिला मुझको रूलाने से |

मनाना मत सनम को यूँ जरा सा रूठ जाने दो,
गवा दोगे सुकूं अपना किसी को सर चढाने से |

- नेहा नज़ाकत

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