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मंगलवार, 7 अगस्त 2018

मुहब्बत ग़ज़ल संग्रह से नेहा चाचरा बहल की कुछ ग़ज़लें

1

और कुछ दे नहीं सकते तुम्हे हम प्यार के सिवा ।
दिल में रह नहीं सकता कोई दिलदार के सिवा ।।

मैं रस्ता ताकती हूँ किस घड़ी तू मिलने आजाए ।
हां मैंने पा लिया सब कुछ तेरे दीदार के सिवा ।।

निगाहों में समा जा तू तो दिल को चैन आजाए ।
मुझको कुछ नहीं भाए तेरे इक़रार के सिवा ।।

सुकूं मिल जाता है मुझको देखकर एक झलक तेरी ।
कि मैने सुन लिया सब कुछ तेरे इज़हार के सिवा ।।

जो तेरी याद आये तो तड़प के आहें भरती हूँ ।
याद बस तू ही है मुझको तेरे तकरार के सिवा ।।

ये 'नेहा' बात बोले तो उसे तुम गौर से सुनना ।
नही अब चाहतें दिल की बस तेरे प्यार के सिवा ।।

© नेहा चाचरा बहल

2

तुमसे मिलने को हम भी बेकरार बैठे हैं ।
पलकें बिछा के हम अंगना बुहार बैठे हैं ।।

यूँ तो दीदारे चाँद रोज़ ही कर लेते हैं ।
अब तो पूनम का करने इंतज़ार बैठे हैं ।।

इश्क की खाई में हर शख्स फिसल जाता है ।
तू अगर साथ दे हम भी तैयार बैठे हैं ।।

तेरी आंखों से जाम हमको भी पी लेने दे ।
प्याले हम प्यार के लेकर हज़ार बैठे हैं ।।

अब तो ज़िंदा हैं बस सनम तुम्हारी चाहत से ।
प्रेम बरखा समेटे कब से यार बैठे हैं ।।

ज़ुस्तजू में लगे हैं सिर्फ तुमसे मिलने की ।
तेरे स्वागत में हम बाहें पसार बैठे हैं ।।

न जाने 'नेहा' कि तू किस घड़ी आजायेगा ।
तेरे लिए सजा के घर के द्वार बैठे हैं ।।

3

दूर से ही सही नज़रो को मिल ही जाने दो ।
आज फ़िर गीत मुझको प्यार का तुम गाने दो ।।

यूँ तो रंगीन है हर शाम यहाँ यारों की ।
इस हँसी शाम में कुछ पल मुझे बिताने दो ।।

देखो तुम देख कर के बदसलूकी करते हो ।
इक नज़र तुझको देखलूं मुझको आने दो ।।

यकीं करो कि चाहतें बहुत हैं तेरे लिये ।
खैरमकदम में हमे पल्कों को बिछाने दो ।।

ये मानते हैं नेहा ,वक़्त मुक्कमल नहीं है ।
पल दो पल ही सही खुदको तुम सताने दो ।।

4

तुम कहते हो तो तुमको मैं एक गीत सुनाती हूँ ।
अपने दिल का हाल तुम्हे गाकर ही बताती हूँ ।।

क्यों हो तुम यूँ खफ़ा खफ़ा इतराते फिरते हो ।
मैं ही बुद्धु हूँ क्या तुम पर जान लुटाती हूँ ।।

जिस पर जग ऐतबार करे वो प्यार का सौदा है ।
आओ बैठो पास मेरे मैं प्यार सिखाती हूँ ।।

दिल की धड़कन साथ न दे इसका क्या भरोसा है ।
रखलो दिल पे हाथ,मैं दिल का हाल सुनाती हूँ ।।

मेरे दिल का मीत है वो,दिल जिसने तोड़ा है ।
नाम से जिसके आज भी मैं हर पल मुस्काती हूँ ।।

ये भी सच है तन्हाई में हर याद उसी की है ।
जिसकी याद में मैं 'नेहा', सब कुछ लिख जाती हूँ ।।

5

काश सच ये ख़्वाब वाली बात हो जाय ।
तेरा मेरा हो साथ तब बरसात हो हो जाय ।।

हाथों में हो हाथ और भीगे हों दो बदन ।
संग सुबह से शाम और फ़िर रात हो जाय ।।

तू टूट के पिघले जिधर बाज़ु हों वो मेरी ।
ऐसी ही कुछ खुदा की करामात हो जाय ।।

खामोश रहें लब और आंखों से बोलें हम ।
ऐसी भी मेरे यार अपनी मुलाकात हो जाय ।।

'नेहा' निबाहेंगे सदा रिश्तों को उम्र भर ।
ये अपनी मुहब्बत की बस शुरुआत हो जाय ।।

6

कोशिश रहेगी दिल को तेरे मैं करार दूँ ।
भूले न जिसको तू कभी तुझको  वो प्यार दूँ ।।

बातों में हंसी रात को ज़ाया न कीजिये ।
बिखरी हैं रुख पे ज़ुल्फ़ जो इसको सवाँर दूँ ।।

मांगे बिना ही तूने मुझे सबकुछ तो दे दिया ।
अब आ ज़रा करीब तुझे बाहों का हार दूँ ।।

बरसात का यूँ आना और साथ में है तू ।
भीगे लबों पे तेरे  मैं खुद को ही वार दूँ ।।

ज़िक्र तुझसे प्यार का तुझसे ही कर दिया ।
'नेहा' ये तू भी कह दे, प्यार बेशुमार दूँ ।।

7

कुछ हकीकत मेरी शेरों में छुपी होती है ।
दिल की आवाज़ सदा कलम से जुडी होती है ।।

जिगर में दर्द है,चेहरे पे जो दिखता ही नहीं ।
लबों पे इस कदर मुस्कान बिखरी होती है ।।

मुझको खुद नहीं पता  कि मैं परेशां क्यों हूँ ।
क्यूं दिल धड़कने की आवाज़ बढी होती है ।।

मैं रूठ कर भी नहीं रूठी सी रह पाऊँ उनसे ।
कि उनसे मिलने की जल्दी भी इतनी होती है ।।

हँसूं मैं जोर से तो इसमें बुराई क्या है ।
मैं मुस्कराऊँ तो भी सबकी नज़र होती है ।।

क्यों गुर्बतें तेरी आँखों में नेहा रहती हैं ।
अधूरे ख्वाबों की हर बात जुडी होती है ।।

© नेहा

8

ये प्यार ही तो है जो बेकरार करता है ।
मेरा दिल अब भी तुझपे ऐतबार करता है ।।

कितना चाहूँ मैं तुझे ये बताना मुश्किल है ।
दिल तो हर ख्वाब में दीदारे यार करता है ।।

हसरतें ये दिल की आज मेरे बस में नहीं ।
दिल तुझे मिलने की कोशिश हज़ार करता है ।।

दरमिया हमारे देखो दूरियां बहुत हैं ।
मेरा दिल फिर भी तुझपे जान निसार करता है ।।

नेहा नाकाम है तुझसे मिल नहीं पाती ।
रूबरू हम मिलें दिल इंतज़ार करता है ।।

© नेहा चाचरा बहल 

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