कवितायें
4:07 am
बरसा की बूंदों ने तन को भिगोया । व्याकुल इस मन को थोड़ा गुदगुदाया । तन जब है भीगा मन भी हर्षाया । - अनन्तराम चौबे
बरसा की बूंदों ने
तन को भिगोया ।
व्याकुल इस मन को
थोड़ा गुदगुदाया ।
तन जब है भीगा
मन भी हर्षाया ।
बरसा का मौसम
सभी को है भाया ।
नदियाँ और झरने
कल कल...