हिंदी साहित्य वैभव

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मंगलवार, 31 मार्च 2020

6:33 pm

रणछोड़ : - बार-बार घरों से निकलने के आदी लोगो - आदित्य तोमर

#An_appeal_to_be_safe_from_Corona बार-बार घरों से निकलने के आदी लोगो, थोड़े दिनों हाथ से छुड़ाके रखो हाथ को. प्रिय परिजनों की जो प्राण रक्षा चाहिए तो, भूल...
11:23 am

याद तुम्हें बस दिन भर करना कितना अच्छा होता था - उज्जवल वशिष्ठ

याद तुम्हें बस दिन भर करना कितना अच्छा होता था। सारी  दुनिया  झूठी  हो  पर  प्यार तो  सच्चा होता था। अब दुनिया भी कदमों...
11:20 am

ग़ज़ल :- मुहब्बत में बड़ा छोटा नहीं है - उज्ज्वल वशिष्ठ

मुहब्बत  में  बड़ा  छोटा  नहीं है। मगर  ऐसा  कभी  होता  नहीं है। अभी कैसे कहें हम बात दिल की, अभी तो नाम भी...
6:58 am

ग़ज़ल:- तुम्हें जिन्दगी का सहारा बनाकर - डाॅ.महालक्ष्मी सक्सेना 'मेधा'

बहर - 122   122   122   122 काफ़िया - आ रदीफ़ - आकर तुम्हें  जिन्दगी  का   सहारा  बनाकर। समझ...

सोमवार, 30 मार्च 2020

7:33 am

ग़ज़ल :- तुम्हें जिन्दगी का सहारा बनाकर - महालक्ष्मी सक्सेना 'मेधा'

बहर - 122   122   122   122 काफ़िया - आ रदीफ़ - आकर तुम्हें  जिन्दगी  का   सहारा  बनाकर। समझ...
3:34 am

ग़ज़ल :- तुम साथ न दो मेरा खुद राह बना लेंगे - सना परवीन

तुम साथ न दो मेरा  खुद राह बना लेंगेधरती से गगन तक हम  मंजिल को' भी' पा लेंगे। क्या आज हुआ तुमको, जो रूठ गये साजन,हम अपने ही' शानों पर,...
3:28 am

कविता - कौन बड़ा-छोटा किन बातों में हम पड़े हुए - आदित्य तोमर

क्या समाज, कैसा समाज, क्या है उसकी परिभाषा ?यह सब कहने में थकती है कलम, उलझती भाषा.भिन्न पंथ हों, भिन्न धर्म हों या समुदाय भले हों,भले भिन्न लोगों के...
2:21 am

ग़ज़ल :- चाहतों की निशानियाँ तो हो, मोहब्बत़ - राहुल शुक्ल साहिल

ग़ज़ल़ 1 बह्र- 2122  1212  22 काफ़िया - आर रदीफ़ - कर लें क्या तुझ से ही नैना चार कर लें क्या । खुद सजा तलब़गार कर लें क्या।। चाहतों  की...
2:00 am

ग़ज़ल :- ये ख़्वाहिश न जाने कहां ले चली - राजश्री तिवारी पाण्डे

ग़ज़ल 1 काफ़िया - ईर रदीफ़ - का हर कोई मालिक बना है रौब है जागीर का । सब कहें मैं ही सिकंदर हूँ यहाँ तक़दीर का ।। झूठ  का  देखो  सभी...
1:57 am

बढ़ा लो फासले यारों वफ़ाएं अब नही मिलतीं - सना परवीन

गजल  1 बह्र - 1222 × 4 काफ़िया - एं स्वर रदीफ़ - अब नही मिलतीं बढ़ा लो फासले यारों वफ़ाएं अब नही मिलतीं । नजर जो फेर ली जब से अदाएं अब नही मिलतीं...

शनिवार, 28 मार्च 2020

9:21 pm

बुलाती है मगर जाने का नईं :- राहत इन्दौरी

बुलाती है मगर जाने का नईं ये दुनिया है इधर जाने का नईं मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर मगर हद से गुजर जाने का नईं सितारें...

शुक्रवार, 27 मार्च 2020

रविवार, 22 मार्च 2020

10:06 pm

ग़ज़ल :- ज़िंदगी गुज़रे ज़रा - से प्यार में - रवि रश्मि 'अनुभूति '

बहर --- 2122    2122    212 काफिया - आर रदीफ- में ज़िंदगी गुज़रे ज़रा - से प्यार में । क्या रखा है जीत में सुन हार...
10:03 pm

ग़ज़ल :- बीत गईं हैं कितनी शामें हर मौसम तन्हाई में - रचना उनियाल

रदीफ़- है क़ाफ़िया-आरा.....स्वर 2×15 आज  अगर दिल मान सके ये हर इंसान  हमारा है । हो जाये  हर  मुश्किल आसाँ  ढूँढे  कौन...

शनिवार, 21 मार्च 2020

6:17 am

डॉ_वशीर_बद्र - पूरा इंटरव्यू यहाँ पढ़े - डा_निशान्त_असीम

#ग़ज़ल_की_भाषा_हिंदुस्तानी_है #डॉ_वशीर_बद्र ( पूरा इंटरव्यू यहाँ पढ़े ) पद्मश्री बशीर साहब की शायरी अदब और आम-जनमानस में ख़ास मक़ाम रखती है। हिंदुस्तानी-भाषा...

गुरुवार, 19 मार्च 2020

10:10 pm

हिन्दुस्तानी ग़ज़ल क्या है आइये समझते है -डॉ_निशान्त_असीम

#हिंदुस्तानी_ग़ज़ल  #ہندوستانی_غزل हिंदुस्तानी-ग़ज़ल अलग से साहित्य की कोई बिधा नहीं है बल्कि उसमें हिन्दी-ऊर्दू की वे सभी ग़ज़लें शामिल हैं, जो आम...

मंगलवार, 10 मार्च 2020

5:29 pm

हिंदुस्तानी-ग़ज़ल अलग से साहित्य की कोई विधा नहीं है

#हिंदुस्तानी_ग़ज़ल हिंदुस्तानी-ग़ज़ल अलग से साहित्य की कोई विधा नहीं है बल्कि उसमें हिन्दी-ऊर्दू की वे सभी ग़ज़लें शामिल हैं, जो आम बोलचाल की आसान हिंदुस्तानी...

मंगलवार, 3 मार्च 2020

सोमवार, 2 मार्च 2020

5:39 am

निदा_फ़ाज़ली साहब की हिंदुस्तानी ज़बान वाली शायरी ...डॉ_निशान्त_असीम

#हिंदुस्तानी_ग़ज़ल  #ہندوستانی_غزل की ये सीरीज फेसबुक अकाउन्ट पर जारी है। जिसमें शायरों/ग़ज़लकारों की आसान हिन्दुस्तानी ज़बान में कही गयीं, उनकी चुनिंदा...

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