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सोमवार, 4 मई 2020

इक किताब होगी ,
मेरी जिंदगी की।
जिसके हर पन्ने पर ,
एक कहानी होगी।
कोई बात नयी होगी,
कोई बात पुरानी होगी।
ज़िक्र तेरा भी होगा,
अधूरा,बिन तेरे होगा।
कुछ लम्हें, संग तेरे होंगे,
कुछ इंद्रधनुषी रंग तेरे होंगे।
कुछ अपने और पराए होंगे,
कुछ बिछड़े, कुछ मिल पाए होंगे।
एहसास जो हमने जीएं होंगे,
कुछ घूंट कड़वे, पिएं होंगे।
हर लम्हा,कैद कर हम जाएंगे,
किताब में,खुद को सौंप जाएंगे।
मिलना हमसे, तन्हाइयों में याद,
जब कभी भी हम आएंगे,
पढ़ोगे जब भी,
हर बार मिलने आएंगे।

कौशल बंधना पंजाबी।

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