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सोमवार, 4 मई 2020

पथराई आंखें।(लघु कथा)

जब पुलिस आई तो वह वहीं खड़ी थी, वह जानती थी कि आगे क्या होगा ...पोलटीकल जोर जो था।जमीन जायदाद के घरेलू विवाद ने छीन ली थीं सांसें रेखा की , परिवार की कलह ,सास ससुर नहीं थे ,चाचा चाची ज़मीन हड़पना चाहते थे।गुजारा उसी पर था रेखा और उसके पति का।

जब भी रेखा का पति घर से बाहर होता, चाचा चाची मारपीट करते।मगर उस दिन कुछ ज्यादा ही हो गया ।गला घोंट देने से मौत हो गई थी रेखा की ।

मौत को आत्महत्या का रूप दिया गया।दो मासूम बच्चे अनाथ हो गए। मायके वालों की रिपोर्ट पर भी कोई कार्यवाही ना हुई ,पुलिस आई,मूक हो खड़ी रही। क्योंकि पोलिटिकल जोर ने बांध रखे थे हाथ।

 कोई कुछ नहीं कर पाया ,देश की गंदी राजनीति और घरेलू हिंसा ने समाप्त कर दी जीवन लीला रेखा की और पीछे रह गई थीं कुछ अपनों की पथराई आंखें।

कौशल बंधना पंजाबी।
नंगल डैम पंजाब।


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