मेरा भ्रम
भ्रम था मेरा, टूट गया,
साहिब मेरा,रूठ गया।
जतन मनाने के करूं ,
मेरा था,क्यों छूट गया?
पूछूं स्वयं से प्रश्न यूं,
स्वयं ही मैं उत्तर दूं।
प्रश्न उत्तर में उलझी,
सुलझाऊं पहेली यूं।
वो बादल और मैं धरा,
वो उपवन सा है हरा।
मैं पतझर,सूखी लता,
दर्द, दर्द कह मन भरा।
वो बहारों का बंजारा,
नयन में डूब,मन हारा।
हृदय चूर चूर भया रे ,
झूठ फरेब है संसारा।
अंत रास्ता,मृत्यु जाना,
संग साथ नहीं है जाना।
एकेले राह पार है करना,
फिर काहे जीते जी मरना।
कौशल बंधना पंजाबी।
7:25
2 March 2020
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