तुमसे बेहतर हूं मैं।
मुझे मत बताओ कि मैं क्या हूं?
मत परखने आओ ,रात स्याह हूं।
अनेकों तूफानों,था घेरा यहां मुझे,
तिनका बन उड़ी,क्यों बताऊं तुझे।
राख गुलिस्तां हूं,खाक में हूं मिली,
बर्बाद ए वक्त,धूल मुझपर जमी।
टूटकर कभी समंदर में जा मिली,
कभी पैरों तले जमीं भी ना मिली।
कभी आशाओं के आसमां में उड़ी,
कभी बिखरी,लगी बिन सावन झड़ी।
दर्द हुआ, बनाकर अपना परखी गई,
पत्थर सी बनाकर फिर तराशी गई।
मार चुपचाप मैंने भी अपनों की सही,
मूर्त कुछ अनमोल बनी, मैं ना थी वहीं।
कहानी मेरी भी अदभुत है,ख्याली भी,
चाय गर्म है मगर ठंडी सी प्याली भी।
मौसम सर्द कभी गर्म भी हो जाता है,
मेरे खून में घुलता है जो परखने आता है।
मैं हकीक़त हूं, जिंदगी की कहानी अनकही
शब्द शब्द रचती,मेरी कलम भीगी बीच स्याही ।
कौशल बंधना पंजाबी।
12:51
Jan 31/2020.. Friday
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