संस्मरण
नेकी कर दरिया में डाल।
नेकी कर दरिया में डाल कोशिश हमेशा यही रहती है मेरी।क्योंकि किसी को बताकर मुझे दूसरों की नजरों में बड़ी नहीं होना है भगवान की नज़र में सही रहूं यही काफ़ी है।मगर कलम का धर्म निभाते हुए आज एक संस्मरण जो मेरे हृदय पटल पर है सांझा करती हूं।
जसविंदर रजनी मेरे ससुराल की गांव की लड़कियां हैं। पांच भाई बहन हैं वह।माता पिता नहीं उनके।रजनी को मैने जब मेरी छोटी बेटी पैदा हुई तो काम पर बुला लिया ।वह तब गांव से बाहर पहली बार काम के लिए आई थी उसको मुझपर बहुत यकीन था आज भी है
बहन भाइयों में वही समझदार थी और काम कर पूरे परिवार का पेट पालती थी।
मेरे घर काम के बाद उसको बहुत काम भी मिला और बहुत इज्जत करती वो मेरी कभी भी जरूरत होती मना ना करती आ जाती।
उसकी और उसकी बहन की शादी में भी जितनी अधिक मदद कर पाई की।और लोगों से भी करवाई मदद।
रजनी तो सुखी थी मगर जसविंदर का घर परिवार अच्छा नहीं था।
एक दिन रजनी का फोन आया चाची जी एक मदद चाहिए आपके सिवा कोई मदद नहीं करेगा मेरी बहन की ।उसको न्याय दिलवाओ और उसका कोई ठिकाना नहीं उसको और उसकी बेटी को रखलो अपने पास।जो इतनी उम्मीद लेकर आए उसको मना नहीं किया जा सकता और फिर मैंने हमेशा रजनी को बेटी माना।
वह बोली मेरी बहन आपका काम कर देंगी,,, मैंने मना किया और कहा कि मैं उसकी मजबूरी का फायदा नहीं उठाऊंगी ,अपना घर समझकर रहे और उसको सिलाई सिखाकर एक दुकान खुलवा देंगे।बेटी को स्कूल में पढ़ा दूंगी।घर की जरूरत हुई तो गांव में मेरे दो घर हैं एक उसको दे देंगे रहने को हमारे जीते जी उसको कोई निकालेगा नहीं और बच्चों को भी समझा देंगे जब बड़े होंगे।
वकील से उसका केस लड़ने की भी बात करली।एक एप्लीकेशन डी एस पी के पास और वूमैन सैल में भी बात करली।
मैंने अपना रजनी से किया वादा निभाया । जसविंदर को सिलाई सीखने भेजना शुरू कर दिया।बेटी की उसकी एडमिशन भी करवा दी।
अभी दो महीने ही बीते उसके ताऊ का बेटा बोला लेकर जाना है। कुछ दिन बाद भेज देंगे।
मैंने उसको समझाया कि इन दोनों का भविष्य खराब नहीं करना अपने किसी लालच के लिए ।इसको पैरों पर खड़ी होने दो।
पता था वह उसको नहीं आने देंगे,वह भी उदास थी।
उसको दिलासा दिया मैंने कभी भी जरूरत हो बेझिझक बोलना साथ हूं।
मगर वो कैसे भी ले गया वापिस नहीं भेजा ।क्योंकि उनको काम के लिए अब एक मजबूर मिल गई थी।
रजनी ने बहुत समझाया अब उनकी गालियां भी सुनती है और काम भी दिन रात करती है।
एक दिन रजनी ने फोन किया मुझे और बोली चाची अपने बहुत कुछ किया पर उन लोगों को कौन समझाए,,अब यहीं कहूंगी आप दुःखी नहीं होना ,,,नेकी की और दरिया में डाल दी यही सोचना आप।
कौशल बंधना पंजाबी।
नंगल डैम
पंजाब।
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