हिंदी साहित्य वैभव

EMAIL.- Vikasbhardwaj3400.1234@blogger.com

Breaking

सोमवार, 3 अगस्त 2020

कुछ दाग़ रह गए है धुलाई के बाद भी

अफसोस है कि इतनी सफाई के बाद भी
कुछ दाग़ रह गए है धुलाई के बाद भी

दुनिया तिरी लिखाई समझ मे न आ सकी
अनपढ़ रहे हम इतनी पढ़ाई के बाद भी

डाली थी तुमने पाओ में जंजीर जिस जगह
बैठे है हम वहीं पे रिहाई के बाद भी

ये हौसला भी इश्क़ ने हमको अता किया
ज़िन्दा है देख तेरी जुदाई के बाद भी

सहरा तिरा मिज़ाज समझना है इसलिए
हम चल रहे है आबला पाई के बाद भी

दिल को जकड़ के बैठा है ये कोन सा मलाल
हम खुश नही है तेरी बधाई के बाद भी


वसीम नादिर 
बदायूँ 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हिंदी साहित्य वैभव पर आने के लिए धन्यवाद । अगर आपको यह post पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर कीजिये और comments करके बताये की आपको यह कैसा लगा और हमारे आने वाले आर्टिक्ल को पाने के लिए फ्री मे subscribe करे
अगर आपके पास हमारे ब्लॉग या ब्लॉग पोस्ट से संबंधित कोई भी समस्या है तो कृपया अवगत करायें ।
अपनी कविता, गज़लें, कहानी, जीवनी, अपनी छवि या नाम के साथ हमारे मेल या वाटसअप नं. पर भेजें, हम आपकी पढ़ने की सामग्री के लिए प्रकाशित करेंगे

भेजें: - Aksbadauni@gmail.com
वाटसअप न. - 9627193400

विशिष्ट पोस्ट

सूचना :- रचनायें आमंत्रित हैं

प्रिय साहित्यकार मित्रों , आप अपनी रचनाएँ हमारे व्हाट्सएप नंबर 9627193400 पर न भेजकर ईमेल- Aksbadauni@gmail.com पर  भेजें.