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मंगलवार, 11 अगस्त 2020

राहत इंदौरी सहाब आपने ही कहा था। बुलाती है मगर जाने का नही औऱ खुद चल दिये..

शायरी के एक युग का अंत हो गया 😭 भावभीनी शायरी के एक युग का अंत हो गया 😭 भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
✨स्वर्गीय राहत इंदौरी जी श्रद्धांजलि अर्पित💐💐
✨ इंदौर के रहने वाले मशहूर शायर राहत इंदौरी का मंगलवार की शाम को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वो 70 साल के थे। सोमवार को ही उन्हें इलाज के लिए अरविंदो अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। राहत इंदौरी बॉलीवुड गीतकार और उर्दू भाषा के मशहूर कवि थे। वो उर्दू भाषा के पूर्व प्रोफेसर और चित्रकार भी रहे।
  ✨हम आपको बताएंगे राहत कुरैशी के राहत इंदौरी बनने और देश दुनिया में नाम कमाने की पूरी कहानी। साथ ही राहत इंदौरी के जीवन से जुड़ी हर खास जानकारी।उनका जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में हुआ था। उनका पूरा नाम राहत कुरैशी था। उनके पिता का नाम रफतुल्लाह कुरैशी और मॉ का नाम मकबूल उन निसा बेगम है। वो इनकी चौथी संतान थे। उनकी 2 बड़ी बहनें हैं जिनका नाम तकीरेब और तहज़ीब है। उनका एक बड़ा भाई है जिसका नाम एक्विल और एक छोटा भाई है जिसका नाम आदिल है। 
उनकी शिक्षा दीक्षा भी मध्य प्रदेश में ही हुई थी। ✨आरंभिक शिक्षा देवास और इंदौर के नूतन स्कूल से प्राप्त करने के बाद इंदौर विश्वविद्यालय से उर्दू में एम.ए. और उर्दू मुशायरा शीर्षक से पीएच.डी. की डिग्री हासिल की। उसके बाद 16 वर्षों तक इंदौर विश्वविदायालय में उर्दू साहित्य के अध्यापक के तौर पर अपनी सेवाएं दी और त्रैमासिक पत्रिका शाखें का 10 वर्षों तक संपादन किया। पिछले 40-45 वर्षों से राहत साहब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मुशायरों की शान बने हुए थे।

 ✨राहत इंदौरी उर्फ राहत कुरैशी ने दो शादियां की थी। उन्होंने पहली शादी 27 मई 1986 को सीमा रहत से की। सीमा से उनको एक बेटी शिबिल और 2 बेटे जिनका नाम फैज़ल और सतलज राहत है, हुए हैं। ✨उन्होंने दूसरी शादी अंजुम रहबर से साल 1988 में की थी। अंजुम से उनको एक पुत्र हुआ, कुछ सालों के बाद इन दोनों में तलाक हो गया था।राहत इंदौरी के शायर बनने की कहानी भी दिलचस्प है।
 वो अपने स्कूली दिनों में सड़कों पर साइन बोर्ड लिखने का काम करते थे। बताया जाता है कि उनकी लिखावट काफी सुंदर थी। वो अपनी लिखावट से ही किसी का भी दिल जीत लेते थे लेकिन तकदीर ने तो उनका शायर बनना मुकर्रर किया हुआ था। ✨एक मुशायरे के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर शायर जां निसार अख्तर से हुई। बताया जाता है कि ऑटोग्राफ लेते वक्त राहत इंदौरी ने खुद को शायर बनने की इच्छा उनके सामने जाहिर की। तब अख्तर साहब ने कहा कि पहले 5 हजार शेर जुबानी याद कर लें फिर वो शायरी खुद ब खुद लिखने लगेंगे।

 तब राहत इंदौरी ने जबाव दिया कि 5 हजार शेर तो मुझे पहले से ही याद है। इस पर अख्तर साहब ने जवाब दिया कि फिर तो तुम पहले से ही शायर हो, देर किस बात की है स्टेज संभाला करो। उसके बाद राहत इंदौरी इंदौर के आस पास के इलाकों की महफिलों में अपनी शायरी का जलवा बिखेरने लगे। धीरे-धीरे वो एक ऐसे शायर बन गए जो अपनी बात अपने शेरों के जरिए इस कदर रखते हैं कि उन्हें नजरअंदाज करना नामुमकिन हो जाता।
 राहत इंदौरी की शायरी में जीवन के हर पहलू पर उनकी कलम का जादू देखने को मिलता था। बात चाहे दोस्ती की हो या प्रेम की या फिर रिश्तों की, राहत इंदौरी की कलम हर क्षेत्र में जमकर चलती थी।शायरी लिखने से पहले वह एक चित्रकार बनना चाहते थे और जिसके लिए उन्होंने व्यावसायिक स्तर पर पेंटिंग करना भी शुरू कर दिया था। 
इस दौरान वह बॉलीवुड फिल्म के पोस्टर और बैनर को चित्रित करते थे। यही नहीं, वह पुस्तकों के कवर को डिजाइन करते थे। उनके गीतों को 11 से अधिक ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फिल्मों में इस्तेमाल किया गया। जिसमें से मुन्ना भाई एमबीबीएस एक है। वह एक सरल और स्पष्ट भाषा में कविता लिखते थे। वह अपनी शायरी की नज़्मों को एक खास शैली में प्रस्तुत करते थे, इसलिए उनकी अलग ही पहचान थी।

 संकलनकर्ता!!!
💞साजिद इकबाल 
      राष्ट्रीय अध्यक्ष 
जी.डी फाउंडेशन लखनऊ ,भारत
7033066062

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