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मंगलवार, 28 मार्च 2017

कविता- वो है मेरी प्यारी माँ

मेरे सपनों को सहलाती है माँ
जिद्द करने पर बहलाती है माँ
घर में नये पकवान बनाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ।

आँचल की छाँव में रखती है माँ
मेरी चोट पर हल्दी रखती है माँ
घर में सबकी चिन्ता करती जो
वो है मेरी प्यारी माँ।

अपने रोते बच्चों का पलना है माँ
गंगा-जमुना का मीठा झरना है माँ
मेरे रूठने पर प्यार से मनाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ

जब नई नई कहानी सुनाती है माँ
दूर होने पर फोन से बुलाती है माँ
शैतानी पर भी डाँटकर हँसाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ

अपने दुख को समेटे रखती है माँ
मेरी आँखों में काजल रखती है माँ
अपनी ममता का रस बरसाये जो
वो है मेरी प्यारी माँ।

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
   9627193400          27 मार्च 2017

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