पेडों पर नयी शाखाऐं और फूलों की डाली ,
खेतो मे लहराती सरसो और गेहूँ की बाली
हर तरफ खुशहाली बंसत के मौसम में
हल्की ठंण्क का सुहानी मौसम आ गया ।।
हर तरफ सुर-संगीत लहरमय वीणावादन
माता सरस्वती का संगीतमय अभिवादन ।
पतझड बीता, हर तरफ हरियाली छाई
नर्म हवा, कच्ची धूप का मौसम आ गया ।।
प्रकृति की सुन्दरता से तन मनमोहक हुआ, बहती नदियाँ,आसमां में बादल छाया हुआ ।
नयी जगह घूमने,बागों में खेलने के दिन आये
रंग-बिरंगी पतंगे उड़ाने का मौसम आ गया ।।
धूप-छाँव के बहाने सूरज धरती को सजाने
अब ऋतुराज को बसंत रंगीन परवेश बनाने
सदाबहार गीत प्रेम के प्रीतम को सुनाने
सुख-सम्रद्धि को बढाने देखो बसंत आ गया ।।
©विकास भारद्वाज "सुदीप"
01/02/2017
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