महफिल ए यार में देख हमें इशारा करती हो
सबसे नजर बचा आँखो से गवारा करती हो
मुझको छुपकर देखना तेरा बदनाम न कर दे
हमसे क्यू रूठ कर खुद से किनारा करती हो
©कवि विकास भारद्वाज "सुदीप"
05/03/2017
महफिल ए यार में देख हमें इशारा करती हो
सबसे नजर बचा आँखो से गवारा करती हो
मुझको छुपकर देखना तेरा बदनाम न कर दे
हमसे क्यू रूठ कर खुद से किनारा करती हो
©कवि विकास भारद्वाज "सुदीप"
05/03/2017
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महफिल ए यार में देख हमें इ...
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