जब शबनमी आँखो मे वो काजल लगाती है
ना जाने कितने आरमाँ वो दिल में जगाती है
कंलक लगे ना आँचल पर यूही वफा निभाना
सदा पास है वो मुझको ये एहसास कराती है
©विकास भारद्वाज "सुदीप"
10/03/2017
जब शबनमी आँखो मे वो काजल लगाती है
ना जाने कितने आरमाँ वो दिल में जगाती है
कंलक लगे ना आँचल पर यूही वफा निभाना
सदा पास है वो मुझको ये एहसास कराती है
©विकास भारद्वाज "सुदीप"
10/03/2017
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जब शबनमी आँखो मे वो काजल ल...
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