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सोमवार, 13 मार्च 2017

होली/रंग


केसरिया गुलाल अम्बर से बरसा ऐसा पानी
नशीली आँखें गुलाबी गाल हर सूरत हरषानी

देखो छोटू भी भर लाया पिचकारी रंग वाली
गुडिया भी ले आई रंग-बिरंगे रंग की थाली

आया मौसम रंगने का कर दो धरती लाल
देवर ने लगाया भाभी के गालों पर गुलाल

घर-गली में ढम-ढम ढोल बजाते होली पर
होकर मस्त अबीर गुलाल उड़ाते होली पर

हमने भी खेली थी उनके संग उसदिन होली
फिर नही कर पाये उनके संग हँसी ठिठोली

अब तुम बोलो में किसके संग खेलूँ होली
जब सुना है मैनें वो किसी और की होली

जब पीकर भाँग हुडदंग किया इस होली
वो भी खिडकी से झाकनें लगी इस होली

सब मिल मिटा दो मतभेदों को इस होली
प्यारे फूल खिला दो गुलशन में इस होली

©विकास भारद्वाज "सुदीप"
   9627193400
   13/03/2017

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