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सोमवार, 10 अप्रैल 2017

गंगा स्वच्छता/नमामि गंगे

विधा-तुकांत
नदियों का नहीं कोई रखवारा
हरा भरा स्वच्छ हो जग सारा
पापियों का हो उद्‌धार जिससे
पवित्र निर्मल बहती गंगा धारा

जन-जन में जब आस जागाएगा,
फिर यूँ गंदगी न कोई फैलाएगा।
जब मुर्दाघाट जब अलग बनेगा
तब कोई लाश नहीं दफनाएगा।

मति मारी छोडते कचरा सारा
नाले में फैक्ट्री का मलबा सारा
कीटाणुओं का संक्रमण फैलता
पवित्र निर्मल बहती गंगा धारा
©विकास भारद्वाज "सुदीप"
9627193400           10/04/2017

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