विधा- निबन्ध
गंगा नदी भारत की प्राचीन नदियों में से एक है और इसका अपना एक इतिहास है ।
यह नदी सब भारतीयों की एक आस्था का भी प्रतीक माना जाता है इससे हमारी पहचान है
इसलिए यह सिर्फ एक नदी नहीं है।
यह नदी हिमालय की गोद से निकल कर मैदानी इलाको में आती है।
इन नदियों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है क्योंकि इन नदियों से ही भूमि उपजाऊ बनती है। इसके इलावा इन नदियों के पानी से हमारी दिनचर्या भी पूरी होती है जैसे की पीने के लिए,नहाने के लिए, पेड़-पौधों के लिए,जीव-जंतुओं के लिए आदि ।
अब ये नदी प्रदूषित हो गई है । आज के समय में गंगा को मैली करने में हम सब का बहुत योगदान है। बच्चे के मुंडन से ले के की राख को इस गंगा नदी में बहाया जाता है।
तथा घर में होने वाले धार्मिक कार्यो की चीजे गंगा माँ की गोद में डाल देते है इसके इलावा शहर का सारा गंद और कारखानो से निकलने वाले जहरीले पदार्थ और रसायन भी इस नदी में बहा दिए जाते है। अब इस गंगा नदी का पानी पिने लायक भी नहीं रहा है ।
सरकार और कई संस्थाये इसे साफ़ करने के कई उपाय निकाल रही है और तो और हर साल इसे साफ़ करने के लिए करोडों पैसे खर्च किये जाते है परन्तु इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा और अगर इस नदी का यही हाल रहा तो एक दिन ये नदी का पानी पूरी तरह से प्रदूषित हो जयेग।
हम सबको प्रण लेना चाहिए की हम इसे साफ़ रखने में अपना पूरा योगदान दे।
©विकास भारद्वाज "सुदीप"
9627193400 10/04/2017
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
हिंदी साहित्य वैभव पर आने के लिए धन्यवाद । अगर आपको यह post पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर कीजिये और comments करके बताये की आपको यह कैसा लगा और हमारे आने वाले आर्टिक्ल को पाने के लिए फ्री मे subscribe करे
अगर आपके पास हमारे ब्लॉग या ब्लॉग पोस्ट से संबंधित कोई भी समस्या है तो कृपया अवगत करायें ।
अपनी कविता, गज़लें, कहानी, जीवनी, अपनी छवि या नाम के साथ हमारे मेल या वाटसअप नं. पर भेजें, हम आपकी पढ़ने की सामग्री के लिए प्रकाशित करेंगे
भेजें: - Aksbadauni@gmail.com
वाटसअप न. - 9627193400