हिंदी साहित्य वैभव

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सोमवार, 24 अप्रैल 2017

हाइकू- पानी

जल जीवन
यूँ व्यर्थ न बहाओं
मूल आधार

जल दूषित
रोग फैलते जब
सचेत रहो

गगन मेघा
बूँद बन बरसे
सावन भादों

झरना बन
नदी में जल बहें
पहाडों बीच

बारिश आयी
तिरक्षी तेज बूदें
बहार छाई

विकास भारद्वाज "सुदीप"
9627193400              24/04/2017

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